नीरज कुमार झा
सत्य क्या है को समझना संभवतः कठिन नहीं है। कठिनाई सत्य को स्वीकार करना है। सत्य को लेकर अधिकतर प्रदत्त ज्ञान उसे नकारने के उपक्रम का आभास देता है।
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