नीरज कुमार झा
जमे पूँजीपतियों को पूँजीवाद रास नहीं आता है। प्रतियोगिता और मुक्त बाजार उन्हें पीड़ित करता है। पूँजीवाद दरससल आकांक्षी पूँजीपतियों और पूँजीपोषितों के हित का साधन है।
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