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गुरुवार, 30 मार्च 2023

सम्बोधन का स्वरूप

यदि कोई व्यक्ति निश्चित वर्ग या व्यक्तिगत रूप से ज्ञात लोगों को संबोधित नहीं कर रहा है तो भाषा का तथ्यपरक, तार्किक, स्पष्ट, सटीक, और सपाट होना अभीष्ट है। व्यंग्य और वक्रोक्ति परिहार्य हैं। संबोधन सार्थक और प्रभावी हो; दोनों पक्षों को सम्बोधन का निहितार्थ ज्ञात होने की आवश्यकताएँ  नितांत हैं।

नीरज कुमार झा 

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