समय दर्शन - अध्ययन, अवलोकन, संवेदना और बुद्धि से युक्त दर्शन - की सक्रियता की मांग करता है. दर्शन को दर्शन और दर्शनहीनता अथवा दर्शन और प्रतिदार्शनिकता में भी अंतर स्पष्ट करना होगा क्योंकि इनमें स्वरूप का अंतर नहीं है. दर्शन को यह भी बताना होगा कि दर्शन का उद्देश्य दर्शन का प्राधिकारवाद नहीं है, बल्कि मानवीयता के प्रवाह को अबाध रखना है. दर्शन का एक महती उद्द्देश्य आसुरी तत्त्वों के प्रतिकार के लिए लोगों को संगठित रखना भी है. एक समय दर्शन को हम इतनी ऊँचाई तक ले गए कि सारी की सारी जमीन ही खो बैठे.
नीरज कुमार झा