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शनिवार, 14 सितंबर 2024

हिंदी का प्रचार-प्रसार

यह आवश्यकता नितांत है कि हिंदी विश्व भाषा बने। तोष का विषय है कि हिंदी अनेक देशों में समझी और बोली जाती है लेकिन प्रयास इसे अँग्रेजी से ऊपर ले जाकर विश्व की प्रथम भाषा के रूप में स्थापित करने के लिए होना चाहिए। लक्ष्य ऊँचा होना ही चाहिए क्योंकि भारत जैसी प्राचीन सभ्यता और विशाल देश के लिए लक्ष्यों की निम्नता का कोई औचित्य नहीं है।
 
इसके लिए व्यवस्थित प्रयास और निवेश की आवश्यकता है। हिंदी भाषी क्षेत्र के नागरिक समाज संगठनों, विश्वविद्यालयों और सरकारों को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए योजना बनाकर काम करना होगा।
 
इस योजना का यह एक आवश्यक भाग होगा कि हिंदी भाषी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में भारत की अन्य भाषाओं में अध्ययन, अध्यापन, और शोध किए जाने की सुविधा हो।
 
दूसरा कि राष्ट्रीय स्तर पर विश्व की सभी भाषाओं के अध्ययन और शोध हेतु संस्थानात्मक उपक्रम और अधिक संख्या में स्थापित किए जाएँ।
 
नीरज कुमार झा

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