इसके लिए व्यवस्थित प्रयास और निवेश की आवश्यकता है। हिंदी भाषी क्षेत्र के नागरिक समाज संगठनों, विश्वविद्यालयों और सरकारों को इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए योजना बनाकर काम करना होगा।
इस योजना का यह एक आवश्यक भाग होगा कि हिंदी भाषी क्षेत्र के शिक्षण संस्थानों में भारत की अन्य भाषाओं में अध्ययन, अध्यापन, और शोध किए जाने की सुविधा हो।
दूसरा कि राष्ट्रीय स्तर पर विश्व की सभी भाषाओं के अध्ययन और शोध हेतु संस्थानात्मक उपक्रम और अधिक संख्या में स्थापित किए जाएँ।
नीरज कुमार झा
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