पुस्तकों के मुखपृष्ठों पर,
कैलंडरों, पोस्टरों, और पैकेजों पर,
खासकर पटाखों और बीड़ी के बंडलों पर,
औजार बक्सों पर,
और सबसे सुंदर,
गहरे पेंट से ट्रे पर
छपे चित्रों और दृश्यों को
मैं ध्यान से देखता था
और खो जाता उन चित्रों की दुनिया में।
बचपन की आँखों के सौंदर्यबोध;
वैसा सहज आनंददायक
इस दुनिया में कुछ भी और नहीं है।
कैलंडरों, पोस्टरों, और पैकेजों पर,
खासकर पटाखों और बीड़ी के बंडलों पर,
औजार बक्सों पर,
और सबसे सुंदर,
गहरे पेंट से ट्रे पर
छपे चित्रों और दृश्यों को
मैं ध्यान से देखता था
और खो जाता उन चित्रों की दुनिया में।
बचपन की आँखों के सौंदर्यबोध;
वैसा सहज आनंददायक
इस दुनिया में कुछ भी और नहीं है।
नीरज कुमार झा
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