भारतीय परंपरा द्वेष रहित सुख-समृद्धि की आकांक्षा और जीवन का पोषक रही है। पाश्चात्य जगत में आधुनिकता भयावह रक्तपात के द्वारा आयी है। भारत में सापेक्षिक आधुनिकता का सहज चलन इसकी तार्किकता की परंपरा की पुष्टि करता है।
बहुतायत में बौद्धिक फुनगी का महिमामंडन करते है। जड़, तना, शाखाओं सहित वृक्ष के वृहत्तर यथार्थ की अवहेलना और अवमानना उनकी प्रकृति में है। यही आधिपत्य की दीर्घावधि जनित दासता की प्रवृत्ति है जो उन्हें सत्य को देखने से डराती रही है।
नीरज कुमार झा
बहुतायत में बौद्धिक फुनगी का महिमामंडन करते है। जड़, तना, शाखाओं सहित वृक्ष के वृहत्तर यथार्थ की अवहेलना और अवमानना उनकी प्रकृति में है। यही आधिपत्य की दीर्घावधि जनित दासता की प्रवृत्ति है जो उन्हें सत्य को देखने से डराती रही है।
नीरज कुमार झा
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