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शनिवार, 19 अक्तूबर 2024

सहारा बेसहारा

जो बेकाम है, उसकी पीड़ा बड़ी है
जो काम पर है, वह भी पीड़ित है
पानी है तो किनारा नहीं है
किनारा है तो पानी नहीं है
सहारा के लिए बनना सहारा है
यही सीखने-सीखाने की जरूरत है

नीरज कुमार झा

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