भाषा चातुर्य और मर्मज्ञता
भाषा चातुर्य और मर्मज्ञता दो भिन्न परिघटनाएँ हैं और आवश्यक नहीं कि कोई व्यक्ति दोनों से युक्त हो। भाषाई व्यूह से असंपृक्त रहते हुए प्रासंगिक मंगलकारी तथ्यों का बोध प्राप्त करना भी गहन शिक्षा से ही संभव है। यहाँ यह स्पष्ट करना भी आवश्यक है कि शिक्षा व्यक्ति के स्वयं का प्रयास है। जो व्यक्ति सीखने से विमुख है, उसका मार्गदर्शन कोई गुरु नहीं कर सकते।
नीरज कुमार झा
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